भारत की जलवायु
किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक जो मौसम
की स्थिति होती है, उसे
उस स्थान की जलवायु कहते हैं। भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय जलवायु है।
मौसम-
किसी स्थान पर थोड़े समय की, जैसे एक दिन या एक सप्ताह की
वायुमंडलीय अवस्थाओं को वहां का मौसम कहते हैं। मानसून शब्द मूलत: अरबी भाषा के मौसिम
शब्द से बना है। इसका अर्थ है, वर्ष भर में हवाओं के प्रतिरूप
में होने वाला ऋतुवत प्रत्यावर्तन।
- भारत
में मौसम संबंधी सेवा 1875 में आरम्भ की गयी थी। इसका मुख्यालय पूणे है। वर्तमान
में मौसम संबंधी मानचित्र वहीं से प्रकाशित किया जाता है। प्राकृतिक रूप से भारतीय
जलवायु उष्ण है। देश का औसत धरातल तापमान 21.9 डिग्री सेन्टीग्रेट है।
- कर्क
रेखा भारत के मध्य से गुजरती है। और इस रेखा से दक्षिण का भाग उष्ण कटिबंध में आता
है। दक्षिण में हिन्द महासागर की उपस्थिति एवं भूमध्य रेखा से समीपता के कारण भारत
में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है। जिसकी प्रमुख विशेषता है- दैनिक तापान्तर
की न्यूनता, अत्यधिक आर्द्रता वाली वायु तथा सम्पूर्ण देश
में न्यूनाधिक रूप में वर्षा का होना।
भारत
की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं- अक्षांशीय स्थिति, उच्चावच, मानसूनी पवने, समुद्र
से दूरी आदि।
अक्षांशीय
स्थिति- भारत को भूमध्य रेखा से अधिक निकट होने के कारण यहां वर्ष भर गर्म जलवायु
पाई जाती है।
- उत्तरी
भारत कर्क रेखा के उत्तर में स्थित होने के कारण शीत ऋतु में ठंड और ग्रीष्म ऋतु
में गर्म रहती है।
उच्चावच-
उत्तर भारत के उच्च पर्वतीय क्षेत्र अति शीत जलवायु क्षेत्र में आता है। प्रत्येक
165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान 1 डिग्री सेन्टीग्रेट कम हो जाता है, यही कारण है कि एक ही अंक्षाश में स्थित होने पर भी पर्वतीय मैदानी भागों के
तापमान में अंतर होता है।
- हिमालय
मानसूनी पवनों को रोककर वर्षा करता है जिससे जलवायु में परिवर्तन होता है।
मानसूनी
पवनें- ग्रीष्मकाल में मानसूनी पवनों का रूख दक्षिण-पश्चिम तथा शीतकाल में उत्तर-पूर्व
रहता है।
समुद्र
से दूरी- जो क्षेत्र समुद्र के निकट हैं वहां सम जलवायु है तथा जो क्षेत्र दूर हैं
वहां विषम जलवायु पायी जाती है।
भारतीय
जलवायु का वर्गीकरण-
डब्ल्यू.
कोपेन द्वारा दिए गए जलवायु योजना के आधार पर भारत को निम्नलिखित जलवायु क्षेत्रों
में विभाजित किया गया है-
उष्ण
कटिबंधीय सवाना जलवायु- ये जलवायु प्रायद्वीपीय भारत के मुख्य भागों में पाए जाते
हैं। जिसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा
तथा पंश्चिम बंगाल का पुरूलिया जिला शामिल है। इस प्रकार की जलवायु में सबसे गर्म महीना
मई का होता है जिसका औसतन अधिकतम तापमान लगभग 40 डिग्री से० तथा न्यूनतम 18 डिग्री
से० होता है।
उष्ण
कटिबंधीय मानसून जलवायु- इस तरह की जलवायु कोंकण, मालाबार,
तट, पश्चिमी घाट के निकटवर्ती जिलों, तमिलनाडु के पठार तथा त्रिपुरा व मिजोरम के दक्षिणी भाग में फैली हुई है। इसमें
दक्षिण-पश्चिम मानसून के महीने में वर्षा अधिक होती है, जिसके
कारण सदाबहार वर्षा वन का प्रचुर मात्रा में विकास होता है।
उष्ण
कटिबंधीय आर्द्र जलवायु- यह जलवायु कोरोमंडल तट के किनारे सीमित क्षेत्र में पायी जाती
है। यहां औसत मासिक तापमान सभी महीनों के लिए 18 डिग्री से० से अधिक होता है।
अर्द्धशुष्क
स्टेपी जलवायु- यह जलवायु कर्नाटक तथा तमिलनाडु के वृष्टि छाया क्षेत्र में, पूर्वी राजस्थान, गुजरात तथा दक्षिण-पश्चिम हरियाणा
के कुछ भागों में पायी जाती है।
ध्रुवीय
जलवायु- इस प्रकार की जलवायु जम्मू एवं कश्मीर के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में हिमाचल
प्रदेश तथा उत्तराखंड में पायी जाती है। वर्षा के अधिकांश में ये क्षेत्र बर्फ से
ढके रहते हैं।
टुण्ड्रा
जलवायु – यह जलवायु लददाख, कश्मीर, हिमाचल
प्रदेश तथा उत्तराखंड के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पायी जाती है।
उष्ण
मरूस्थलीय जलवायु- अरावली के पश्चिम में राजस्थान के अधिकांश भाग में यह जलवायु पायी
जाती है।
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