भारत की प्रमुख झीलें एवं जलप्रपात
- जल से भरे हुए प्राकृतिक गर्त को झील कहते हैं।
- भारत की अधिकांश झीलें समुद्रतटीय क्षेत्र में स्थित है, जबकि मैदानी भाग में झीलें नाममात्र की हैं।
- भारत की सबसे अधिक झीलें कुमायूं हिमालय में हैं।
हिमानी द्वारा निर्मित झीलें- भारत में पायी जाने
वाली ज्यादातर हिमानी झीलें लघु आकार की होती हैं, जैसे नैनीताल, सातताल भीमताल, राकसताल आदि।
ज्वालामुखी निर्मित झील- इस प्रकार के झीलों का
निर्माण ज्वालामुखीय विवर तथा ज्वालामुख कुण्ड के जल से भर जाने के फलस्वरूप
होता है। जैसे लोनार झील जो महाराष्ट्र के बुलदाना जिले में है।
विवर्तनिक झील- इस प्रकार की झील का निर्माण प्रथ्वी
के भूपटल में हुए दरार तथा भ्रंश के कारण होता है। जैसे कश्मीर की वुलर झील।
वायु द्वारा निर्मित झील- डीडवाना,
सांभर तथा लूनकरनसर झील है इस
प्रकार की झीलें मरूस्थलीय क्षेत्रों में मिलती हैं।
लैगून
झीलें- समुद्र क्षेत्र में तटीय क्षेत्र का पानी स्थल भाग में घुस जाता है और
धीरे-धीरे बालू का अवरोध खड़ा हो जाने पर स्थलीय क्षेत्र का जलीय भाग समुद्र से
अलग हो जाता है। इसी जलीय आकृति को लैगून कहा जाता है। इस प्रकार की झीलें भारत के
तटीय क्षेत्रों में पाई जाती है, जैसे तमिलनाडु की पुलीकट
झीलें, ओडिशा की चिल्का झील तथा
आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील आदि।
भारत के पश्चिम तट पर स्थित लैगून झीलों को स्थानीय
भाषा में कयाल कहा जाता है। पश्चिम तट की लैगून झीलों में सबसे बड़ी केरल की बेम्बनाद
झील है।
भारत की महत्वपूर्ण झीलें-
गोविन्द सागर झील- भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है
जो पंजाब के रोपड़ जिले में सतलज नदी पर भाखड़ा नांगल बांधध् से निर्मित है।
चोलामू झील (सिक्किम)- भारत की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थ्ति झील है।
भीमताल- यह उत्तराखण्ड के काठगोदाम के समीप स्थित
है। यह त्रिभुजाकार है। यह 1764 मीटर लंबी, 447 मीटर चौड़ी एवं 26 मीटर गहरी है। इस झील में ज्वालामुखी
चटटानों से बना एक छोटा द्वीप है।
नैनीताल- उत्तराखण्ड में स्थित यह झील विश्व प्रसिद्ध
है। यह 1410 मीटर लंबी, 445 मीटर
चौड़ी एवं 26 मीटर गहरी है। इसकी समुद्र तल से ऊचाई 1937 मीटर है।
चौकुचियाताल- यह उत्तराखण्ड की सबसे गहरी झील है।
इसकी लम्बाई 936 मीटर, चौड़ाई
680 मीटर एवं गहराई 40 मीटर है।
पंचपोखरी- उत्तराखंड स्थित यह झील भारत में सबसे अधिक
ऊचाई पर स्थित झील है।
डल झील- यह झील कश्मीर में स्थित है। 8 किमी लंबी एवं
लगभग 3 किमी चौड़ी यह झील ज्यादा गहरी नहीं है। तीन तरफ से पर्वतों से घिरी यह झील
शालीमार एवं निशांत बाग के लिए काफी प्रसिद्ध है।
वूलर झील- चारों तरफ से चंद्राकार पर्वतों से घिरी कश्मीर
स्थित यह झील भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। 15 किमी लम्बी,
10 किमी चौड़ी एवं लगभग 5 मीटर गहरी यह
झील समुद्रतल से 1578 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
सांभर झील- राजस्थान स्थित यह झील भारत की सबसे बड़ी
खारे पानी की झील है। यह लगभग 129 किमी लम्बी, 13 किमी चौड़ी एवं 4 मीटर गहरी है।
लूनर झील- यह महाराष्ट्र के बुलढ़ाना जिले में स्थित
है। इसकी औसत गहराई 9.1 मीटर है। यह चारों तरफ से कीचड़ से घिरी है। यह ज्वालामुखी
उदगार से बनी झील है।
चिल्का झील- ओडिशा के पुरी जिले में स्थित यह एक अनूप
झील है। इसकी लंबाई 70 किमी, चौड़ाई 30 किमी एवं गहराई 3 मीटर है। इसका पानी दिसम्बर से जून
तक खारा एवं वर्षा ऋतु में मीठा हो जाता है। यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की तटीय
झील है। यहां नौ सेना का प्रशिक्षण केन्द्र है।
पुलीकट झील- तमिलनाडु के तटीय भाग पर स्थित यह एक अनूप
झील है। यह 60 किमी लम्बी, 5-15 किमी चौड़ी एवं 1.8 मीटर गहरी है।
कोलेरू झील- यह आंध्र के कृष्णा जिले में स्थित है।
यह भारत में (अलवणीय) सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है।
अष्टमुद्रीय झील- यह केरल के कोलम जिले में स्थित एक
लैगून झील है। इसकी 8 शाखाएं हैं।
लोकटक झील- उत्तर-पूर्वी भारत स्थित मीठे पानी की यह
झील विश्व में तैरता झील के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें तैरते हुए फुम्डिज (तैरते
हुए द्वीप) हैं जो वनस्पति, मृदा तथा जैव पदार्थों का एक विजातीय ढेर है।
भारत के प्रमुख जलप्रपात-
- भारत के प्रमुख जल प्रपात गरसोप्पा (जोग) या महात्मा गांधी जलप्रपात है।
- जोग जलप्रपात शरावती नदी पर स्थित है।
- यह चार छोटे-छोटे प्रपातों राजा, राकेट, रोरर एवं दाम बलाचे से बना है। जोग या गरसोप्पा जल प्रपात सबसे ऊचां जल प्रपात है।
- शिव समुद्रम जलप्रपात का उपयोग विद्धुत उत्पादन के लिए किया जाता है।
- भारत के अधिकांश जलप्रपात दक्षिण भारत में स्थित है।
- हुण्डरू जलप्रपात का निर्माण (रांची) स्वर्णरेखा नदी की जलधारा के काफी ऊंचे से गिरने से निर्मित हुआ है। इसकी ऊचांई 74 मीटर है।
- पुनाग्रा जलप्रपात चम्बल नदी पर स्थित है, जो करीब 10 मीटर ऊंचा है।
- विहार जलप्रपात दक्षिणी टोंस नदी पर स्थित है। बाढ़ आनेपर इसकी ऊचाईं 111 मीटर तक हो जाती है।
प्रपात |
नदी |
ऊंचाई (मीटर में) |
राज्य |
जोग |
शरावती |
225 |
कर्नाटक |
येत्रा |
महाबलेश्वर |
180 |
महाराष्ट्र |
टोंस |
टोंस नदी |
100 |
झारखंड |
शिवसमुद्रम |
कावेरी |
90 |
कर्नाटक |
गोकक |
गोकक |
54 |
कर्नाटक |
चुलिया |
चम्बल |
20 |
राजस्थान |
धुआंधार |
नर्मदा |
15 |
मध्य प्रदेश |
पायकारा |
नीलगिरी |
-- |
तमिलनाडु |
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